Friday, June 19, 2015

घराट वक़्त और प्यार

उसे लगा
वो फिर आएगी
घराट पर,
आटा पिसवाने
मड़ुए का।

वो इंतज़ार
करता रहा
उस जगह,
जहाँ पहले कभी-
वो मड़ुए की पिसती चटख़नों
और गिरते पानी के
 तड़ तड़ के बीच,
एक दूसरे से
नज़रें मिला लिया करते थे।


वो इंतज़ार
करता रहा
उस जगह,
जहाँ पहले कभी
घराट हुआ करता था।

5 comments:


  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 25 मार्च 2017 को लिंक की जाएगी ....
    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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