जीवन संघर्षों की
आरामगाह है
इस सराय मैं एक रात्री ठहरकर
एक अनजाने रास्ते पर
खुद को चलाया जाता है
जीवन आराधनाओं की
दरगाह है
धीरज ध्वस्त हो कभी
तो मानसिक संतुलन पाने
यहाँ आया जाता है
जीवन कल्पनाओं की
कब्रगाह है
नयी कृतियों को को गढ़ा जाता है
और पुरानी जिजीविषाओं को
दफनाया जाता है
जीवन एक सतत गूंजती आह है.. .
आरामगाह है...दरगाह है ...कब्रगाह है .....!!
Monday, March 15, 2010
Wednesday, March 10, 2010
Awazein wapas karne wala Kuan........
बचपन में मेरे घर के पास
एक कुआँ होता था..
हम बच्चों ने -उसका नाम रखा था
आवाजें वापस करने वाला कुआँ .
इस कुँए के सामने
कोई आवाज़ निकालो
तो यह हूबहू
वैसी ही आवाज़ सुना देता था .
एक बच्चे की तरह
बड़े लाड प्यार से
पला था यह कुआँ
और हो भी क्यों न...
पूरे गाँव की
कमजोर वाटर सप्लाई के खिलाफ
यह बड़ी मजबूती से
खड़ा रहता था.
इस कुँए की
सफाई की जाती थी
ईटों की आड़ लगाकर
मिटटी और धूल को-
दूर किया जाता था
और इससे गुजरने वाले
हर बर्तन को साफ़ होना होता था
लेकिन...आज
एक बुरी खबर आई है
इस आवाजों वाले कुँए में
पानी का तल
कम होता जा रहा है...
गाँव मैं लोग कह रहे हैं
कुआँ अपनी
जिम्मेदारी से
मुकर रहा है...
कुआँ खामोश है...
किसी आरोप का
कोई जवाब नही देता
कई पुश्तें पली बड़ी हैं
इसके पानी से
ये भी हो सकता है
अब उम्र हो गयी हो....
लेकिन ये कुआँ है साहब ...
...कौन सुनेगा इसकी
एक कुआँ होता था..
हम बच्चों ने -उसका नाम रखा था
आवाजें वापस करने वाला कुआँ .
इस कुँए के सामने
कोई आवाज़ निकालो
तो यह हूबहू
वैसी ही आवाज़ सुना देता था .
एक बच्चे की तरह
बड़े लाड प्यार से
पला था यह कुआँ
और हो भी क्यों न...
पूरे गाँव की
कमजोर वाटर सप्लाई के खिलाफ
यह बड़ी मजबूती से
खड़ा रहता था.
इस कुँए की
सफाई की जाती थी
ईटों की आड़ लगाकर
मिटटी और धूल को-
दूर किया जाता था
और इससे गुजरने वाले
हर बर्तन को साफ़ होना होता था
लेकिन...आज
एक बुरी खबर आई है
इस आवाजों वाले कुँए में
पानी का तल
कम होता जा रहा है...
गाँव मैं लोग कह रहे हैं
कुआँ अपनी
जिम्मेदारी से
मुकर रहा है...
कुआँ खामोश है...
किसी आरोप का
कोई जवाब नही देता
कई पुश्तें पली बड़ी हैं
इसके पानी से
ये भी हो सकता है
अब उम्र हो गयी हो....
लेकिन ये कुआँ है साहब ...
...कौन सुनेगा इसकी
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