राजधानी एक्सप्रेस---
एक लावारिस सी लाश
फिर पाई गयी
रेल की पटरियों के बीच
हमेशा की तरह
शिनाख्त नहीं हो पा रही थी
और suicide नोट ढूंढने के
प्रयास भी बेकार जा रहे थे .
वैसे पड़े लिखों के बाज़ार में
ये बात कम लोग जानते हैं
की anpad लोग मरते समय
इस किस्म के नोट
नही लिखा करते हैं
बहरहाल ...मुसाफिर कोस रहे थे
मरने वाले को
जिसकी वजह से उनकी
राजधानी की बेलगाम रफ़्तार मैं
अनायास खलल आ गया था.
और उस वक्त अन्दर राजधानी के A .C कोच मैं
विचारों का गहन मंथन हो रहा था -
एक महाशय तिलमिला कर बोल पड़े -
ये भूखे भिखमंगे भी मरने
पटरियों पे चले आते हैं
अंदाजा शायद सही था....
पटरियों पर खाना ढूँढने के प्रयास में
ट्रेन के पहिये-
इस जिन्दा आदमी को निगल गए थे .......
Saturday, June 5, 2010
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