वो फिर आएगी
घराट पर,
आटा पिसवाने
मड़ुए का।
वो इंतज़ार
करता रहा
उस जगह,
जहाँ पहले कभी-
वो मड़ुए की पिसती चटख़नों
और गिरते पानी के
तड़ तड़ के बीच,
एक दूसरे से
नज़रें मिला लिया करते थे।
वो इंतज़ार
करता रहा
उस जगह,
जहाँ पहले कभी
घराट हुआ करता था।
A collection of some of my Hindi poems. .