वो फिर आएगी
घराट पर,
आटा पिसवाने
मड़ुए का।
वो इंतज़ार
करता रहा
उस जगह,
जहाँ पहले कभी-
वो मड़ुए की पिसती चटख़नों
और गिरते पानी के
तड़ तड़ के बीच,
एक दूसरे से
नज़रें मिला लिया करते थे।
वो इंतज़ार
करता रहा
उस जगह,
जहाँ पहले कभी
घराट हुआ करता था।
A collection of some of my Hindi poems. .
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 25 मार्च 2017 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
अच्छा लिखते हैं ।
ReplyDeleteThank You sir for the appreciation.
Deleteअतिसुन्दर !
ReplyDeleteThank you sir
ReplyDelete