रोटी
अपाहिज जग्गू ने, हरी मिर्च के नमक के साथ खाई.
कल्लू की मां ने, मीठे सफेद प्याज के साथ खाई.
फटी शॉल से जांघें छिपाती-
पागल औरत ने ,दाल में सान के खाई.
नक्सली ने अधकच्ची खाई.
पुलिसवाले ने हड़बड़ी में खाई.
नेता ने दलित के घर-
मीडीया को बुला -बुला के खाई.
नेता चॅनेल को इंटरव्यू देने लगा.
पुलिसवाला ट्रॅफिक कंट्रोल में जुट गया.
नक्सली धीरे से चहलकदमी करने लगे.
पागल औरत को फिर से कोई वहशी घूरने लगा.
कल्लू की माँ पानी लाने चल दी,
अपाहिज जग्गू व्हील चेयर घिसते हुए-
गली की ओर बढ़ने लगा.
अपाहिज जग्गू ने, हरी मिर्च के नमक के साथ खाई.
कल्लू की मां ने, मीठे सफेद प्याज के साथ खाई.
फटी शॉल से जांघें छिपाती-
पागल औरत ने ,दाल में सान के खाई.
नक्सली ने अधकच्ची खाई.
पुलिसवाले ने हड़बड़ी में खाई.
नेता ने दलित के घर-
मीडीया को बुला -बुला के खाई.
नेता चॅनेल को इंटरव्यू देने लगा.
पुलिसवाला ट्रॅफिक कंट्रोल में जुट गया.
नक्सली धीरे से चहलकदमी करने लगे.
पागल औरत को फिर से कोई वहशी घूरने लगा.
कल्लू की माँ पानी लाने चल दी,
अपाहिज जग्गू व्हील चेयर घिसते हुए-
गली की ओर बढ़ने लगा.
अच्छी कविता है।
ReplyDeleteअच्छी कविता है।
ReplyDeleteसुन्दर कविता के लिए साधुवाद
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