Tuesday, December 29, 2009

Tumhara Saath

अब आसान है तुम्हें .
मुझको भूल जाना .
जबकि तुम मुझे समझने लगी हो.....
क्योंकि...
मैं अब वैसी बातें नहीं कर पाता हूँ .
तुमको वो वक़्त नही दे पाता हूँ .
सारे दिन का गुस्सा तुमको गिफ्ट कर देता हूँ .
इसलिए...
तुमने ठान लिया है -
की मेरे साथ अब वक़्त नही गुजार सकती .
मेरे सपनो को और नहीं संवार सकती.

ठीक है जाओ सफ़र अधूरा ही सही
लेकिन याद रखोगी इस अधूरे सफ़र को ..
मुझे पता है ,तुम हमेशा से समझदार हो.
जब कभी मैं याद करूँगा , और तुमको हिचकियाँ आएँगी
सामने पड़ी सुराही का पानी,एक बार मैं गटक जाओगी....

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