Tuesday, January 5, 2010

"Nikamme Kavi"

निक्कमे होते है वो लोग-
जो अपनी सोच
एक कविता कि शक्ल मैं
ले आते हैं .

इन लोगों को लगता है ,
कि कविता लिखना
एक  आलीशान काम होता है .
जिसे हर कोई नही कर सकता 

इस प्रजाति के लोग
"क्रिएटिव" होने का झूठा
जाल फेंकते रहते हैं-
उन लोगों पर ,जिनको
फुर्सत नही रोजमर्रा के कामों से .

कोई बोले इनसे कि
इनके वो  अंगारे-
जो कविताओं  मैं  आग उगलते हैं
जमीन पर आंच सुलगाकर दिखाएं ?

 इतनी हिम्मत की  तो  आप देखेंगे-
"कुकुरमुत्ते" कि तरह उग आये ये
"तथाकथित" कवि धीरे धीरे
"लुप्तप्राय" हो जाते है .

No comments:

Post a Comment