टिक टिक टिक टिक
घडी का अलार्म
फिर बेवक्त जगायेगा,
कमबख्त...
घड़ी को कौन मनाये
रूठ जाती है
क्योंकि इसको
बेरुखी से बंद कर देता हूँ.
और आधा घंटा इसको
खिसकाकर
फिर से सोने चला जाता हूँ .
घडी का अलार्म
फिर बेवक्त जगायेगा,
कमबख्त...
घड़ी को कौन मनाये
रूठ जाती है
क्योंकि इसको
बेरुखी से बंद कर देता हूँ.
और आधा घंटा इसको
खिसकाकर
फिर से सोने चला जाता हूँ .