Wednesday, December 30, 2009

Tairne wale sapne

छोटा सा मेरा भी आसमान
छोटी सी मेरी भी हस्ती
न हो सूरज की गलियां
पर जुगनू वाली मेरी बस्ती .

मैं भी दिखला दूंगा जग को
मेरे सपने भी उड़ते हैं
पंख जहाँ पर थक जाते हैं
मेरे पंख वहीँ उगते हैं .

1 comment:

  1. Its a wonderful poem. whenever i listen or read, i always like it.

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