Friday, December 16, 2011

sarkari naukari

यहाँ भी पैसा
वहां भी पैसा
लूट मची है
लूट लो भाई

इधर कमीशन
उधर "दस्तूरी'
नौकरी सरकारी,
सब हसरत पूरी
कौन जो रोके,
कौन जो टोके
किसके बाप का
क्या जाता है
कितनी कितनी
इस्कीमें आई
गरीब है, बस
रोता जाता है

रोने दो
हमको क्या करना
सब अपनी किस्मत का लेखा
इस्कीम मेरी, पैसा मेरा
सब कुछ मेरे घर का ठेका







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