जरा देख लें अपना लोहा
देख लें अपनी लहू की धधक
फिर न ऐसी आंच मिलेगी
फिर न ऐसी धूप खिलेगी।
सूरज से लड़ना है हमको
अपने अंगार बढ़ाने होंगे,
निकलने लगे शस्त्र समर में
अपने नाखून बढ़ाने होंगे।
पीछे छूट जाये ये दुनिया
खुद को आगे करना होगा
अपने हाथ की बाजू से खुद
मार्ग अपना गड़ना होगा।