काली देह
सफ़ेद छींटे
ज्यों ऐपण दे दिए हों किसी ने
सांवली दुल्हन के माथे पर
कुछ जला सा स्वाद इस मिठाई का
गले की उतराई में जाकर
धीरे धीरे जीभ को अपना
बना लेता है
जैसे सांवली दुल्हन
ससुरालियों का दिल जीतने लग जाती है
धीरे धीरे
A collection of some of my Hindi poems. .
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