आज देखकर उनको अचानक सामने...
एक आंसू ढीला होकर ,
आँखों से टूट पड़ा
बटन की मानिंद .
मैं कोशिश करने लगा -
उसको आँख मैं जकड़े रखने की
बात हुई उनसे
और फिर बात निकल आई
गुजरे वक़्त के ,किसी रोज़ के कुहासे में
उनका हाथ पकड़े रखने की
वो गए हैं बहुत दूर
मेरी लापरवाही से माना
लेकिन आदत बना ली है अब
उनसे जुडी हर चीज़ के हक मैं
झगड़ा करने की
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Really Liked it!
ReplyDeletenice poem....
ReplyDelete