जा रहा हूँ
ख्याल आया कि जाना चाहिए .
मंजिल पता है
बस रास्ते का संशय है
रूकने का लालच आता है
लेकिन ...
रुक नही सकता
वजूद मिट जाएगा
मालूम है
राह के तीखे काँटों से निपटने को
धार नाकाफी है
लेकिन मेरे "विश्वास" के चप्पलों ने आज तक
नाउम्मीद नही किया है ...
देखूंगा ..
कहीं किसी रोज़ रेलवे स्टेशन पे मिले
तो बड़ी गरमजोशी से मिलेंगे ....."
ख्याल आया कि जाना चाहिए .
मंजिल पता है
बस रास्ते का संशय है
रूकने का लालच आता है
लेकिन ...
रुक नही सकता
वजूद मिट जाएगा
मालूम है
राह के तीखे काँटों से निपटने को
धार नाकाफी है
लेकिन मेरे "विश्वास" के चप्पलों ने आज तक
नाउम्मीद नही किया है ...
देखूंगा ..
कहीं किसी रोज़ रेलवे स्टेशन पे मिले
तो बड़ी गरमजोशी से मिलेंगे ....."
No comments:
Post a Comment