नदी को बहुत कुछ दिया-
जंगलों, पेड़ -पॉंधों और चट्टानों ने.
नदी सबको समेटकर ले आई
जैसे माँ लेकर आती है
अपने बच्चों के लिए
चीज़ें बचाकर.
एक दिन नदी ने
पानी कम करके
एक द्वीप जन्मा दिया .
लेकिन, सरहद थी आस पास
आपस में ,बंदूकें तान दीं गयीं
इस पर अधिकार को लेकर .
द्वीप रोने लगा
वजूद पे आते ख़तरे को देख.
नदी की ममता रोती हुई बोल उठी-
कुछ साल रुक जा बेटा
धीरे धीरे तुझे अपनी धार से
खुद ही ख़त्म कर दूँगी.
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