कैलेंडर की तारीखें फिर घूम के आ रही है
सब तैयार हैं,
नयी आदतें गले लगाने के,
पुरानी आदतों से बाज़ आने के.
शराब मुर्गे और
डी जे की धुन पर,
सारा शहर -
रंगने को बेताब है .
रईस माँ बाप- महँगी गाड़ियों
के शोरूम मैं चक्कर लगा रहे हैं,
अपने लाडले को न्यू ईयर सरप्राईज़
-गिफ्ट देने के चक्कर मैं .
और इसी बीच घडी
के १२ बजाते ही
सड़क किनारे एक भिखारी
ने दम तोड़ दिया
उसके चेहरे पर
संतोष था की
उसने खुद से
किया हुआ रीजोलुशन निभाया
फटे कम्बल के बावजूद -
उसने साल भर कोशिश की जीने की ,
कंपकपाती ठण्ड मैं
और वो कामयाब रहा .
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